अमेरिकी कोर्ट द्वारा भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी पर लगाए गए आरोपों के बाद भारत-अमेरिका के रिश्ते में भी तनाव आने की आशंका बढ़ गई है। मौजूदा वक्त में भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदार हैं। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने भारतीय उद्योगपति पर ऐसे आरोप लगाकर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी बड़ी चुनौती पैदा कर दी है।
गौतम अदाणी पर कौन-कौन से लगे आरोप :
उद्योगपति गौतम अदाणी पर अमेरिकी अभियोजकों ने भारत में सौर बिजली अनुबंध हासिल करने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने में कथित तौर पर शामिल होने का आरोप लगाया है। अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल से अधिक समय में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने का अनुमान है।
अमेरिका द्वारा की गई 2022 मे जांच
अभियोजकों ने कहा कि अमेरिका ने 2022 में इस मामले पर एक जांच शुरू की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि समूह ने कंपनी की रिश्वत विरोधी गतिविधियों और नीतियों के बारे में गलत और भ्रामक जानकारी देकर अमेरिकी कंपनियों सहित अन्य से कर्ज और बॉण्ड के जरिये दो अरब डॉलर जुटाए। साथ ही समूह ने रिश्वत को लेकर जांच अदाणी की इन कंपनियों पर हैं
आरोप के अनुसार अदाणी समूह की हरित ऊर्जा इकाई अदाणी ग्रीन एनर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र की सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) द्वारा आमंत्रित बोलियों में 2021 में 8,000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए बोली जीती थी। इस निविदा में नयी दिल्ली की एज्योर पावर ने चार गीगावाट की आपूर्ति के लिए बोली जीती थी। एज्योर पावर के साथ-साथ कनाडा के सार्वजनिक पेंशन कोष सीडीपीक्यू के अधिकारियों का भी मामले में नाम है। अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय के अनुसार, सेकी, अदाणी और एज्योर के साथ अनुबंधित कीमतों पर बिजली के लिए खरीदार तलाशने में असफल रही।
अदाणी ने 2021 और 2022 में सरकारी अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और उन्हें सेकी के साथ बिजली बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए रिश्वत की पेशकश की। रिश्वत के वादे के बाद, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में बिजली वितरण कंपनियों ने सेकी के साथ समझौता किया। अधिकारियों को दी गई रिश्वत अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया गया है कि आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के एक अधिकारी को 25 लाख रुपये प्रति मेगावाट का भुगतान किया गया था। उसके बाद राज्य सेकी से 7,000 मेगावाट (7 गीगावाट) सौर ऊर्जा खरीदने के लिए सहमत हुआ।
ओडिशा ने भी इसी तरीके से 500 मेगावाट बिजली खरीदी। अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया और उन्हें निराधार बताया है। समूह ने अदाणी ग्रीन एनर्जी लि.के 60 करोड़ डॉलर के बॉण्ड को रद्द कर दिया है। मामला सामने आने से पहले निर्गम को तीन गुना अभिदान मिला था। समूह के प्रवक्ता ने बयान में कहा, ”अदाणी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग के आरोप निराधार हैं। बावजूद इन खबरों के बीच शेयर बाजार में अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट का दौर जारी है।
26 अरब डॉलर का नुकसान
इन आरोपों के बाद अदाणी समूह की दस सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में लगभग 26 अरब डॉलर (2.19 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। यह हिंडनबर्ग की जनवरी, 2023 में रिपोर्ट आने के बाद बाजार मूल्यांकन में आई गिरावट से दोगुना से अधिक है। अभियोजकों ने मामले में 62 वर्षीय अदाणी और अदाणी ग्रीन एनर्जी लि.के दो अधिकारियों.कार्यकारी निदेशक और उनके भतीजे सागर आर अदाणी और सीईओ विनीत एस जैन पर निवेशकों को धोखा देने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। तीनों पर पांच अन्य प्रतिवादियों की मदद से योजना को अंजाम देने का आरोप है। उन पर विदेशी भ्रष्ट गतिविधियां अधिनियम (एफसीपीए) और न्याय में बाधा डालने के आरोप लगे हैं।
अदाणी पर व्यक्तिगत आरोप
इस मामले में गौतम अदाणी पर व्यक्तिगत आरोप भी लगे हैं। अभियोजकों ने दावा किया है कि अदाणी ने व्यक्तिगत रूप से एक सरकारी अधिकारी से कई बार मुलाकात की। अभियोजकों के अनुसार, प्रतिवादियों ने इस संबंध में बड़े स्तर पर दस्तावेज तैयार किये थे। प्रतिवादी रूपेश अग्रवाल ने पावरपॉइंट और एक्सेल का उपयोग कर रिश्वत योजना का विश्लेषण भी तैयार किया। अभियोग में गौतम और सागर अदाणी के साथ-साथ जैन पर साजिश रचने और प्रतिभूति धोखाधड़ी के आरोप लगाये गये हैं। साथ ही सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली एक अन्य नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी के पूर्व अधिकारी रंजीत गुप्ता और अग्रवाल पर एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। अग्रवाल और एक कनाडाई संस्थागत निवेशक के तीन पूर्व कर्मचारियों.सिरिल कैबेन्स, सौरभ अग्रवाल और सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा.पर न्याय में बाधा डालने और एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।